मंगलवार, 16 अगस्त 2011

यादों में ज़माना निकला...

हम रूठे, वो रूठे,
हम माने, वो माने,
हम ऐसे क्यूँ जाने 
हम भी थे दीवाने,
अब तो फ़साना निकला
यादों में ज़माना निकला|

कोई जब आया तो 
मिलकर हँसाया तो, 
करनी थी कुछ बातें 
करके उबाया तो,
अब भी फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला 

आँखों की कहानी थी 
रूहों को सुनानी थी, 
कहते हैं कुछ अपने 
वो तो थे बस सपने, 
सपना इक देखा तो 
खोया या टूटा तो, 
अब भी फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला|

जीवन की कहानी है 
अपनो की जुबानी है, 
करते थे जो संगी 
सबको सुनानी है, 
अब भी इक फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला| 

राहों के साथी थे 
मंजिल दिखाते थे, 
भटके जो कोई भी
फटकार लगाते थे,
अब भी फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला| 

हंसते तो, हंसते वो, 
रोया तो, रोया वो, 
खोया तो, खोये वो,
पाया तो, पाए वो,
रहता बस संग मै 
दुनिया घुमाये वो,
अब भी फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला|

अब बस यादें हैं 
जो चले आते हैं, 
उन यादों की राहों में 
सब मिल जाते हैं,
अब भी फ़साना निकला 
यादों में ज़माना निकला|