रविवार, 23 अक्तूबर 2011

इक उम्र के...

इक उम्र के 
इक सफ़र में 
इक पड़ाव की 
आस थी!

बढ़ना होगा 
या भटक रहे 
अब इस 
प्रश्न की 
तलाश है!!

1 टिप्पणी:

S.N SHUKLA ने कहा…


सुन्दर रचना, सार्थक भाव, बधाई.
कृपया मेरे ब्लॉग"meri kavitayen" की नवीनतम पोस्ट पर भी पधारें , आभारी होऊंगा.