मंगलवार, 9 जुलाई 2013

तू ही उसका हकदार है...

तू साथी,
तू हमसफर,
तू ही तो दिलदार है,
हर महफिल में
हम हँस सके
तू ही उसका हकदार है।

कुछ वहम
ऐसा हुआ
कि सिसकियाँ
थी बँधी,
अब चला है
तू तो देखो
साथ हम
बढ़ने लगे।

है जो तेरा
साथ जो
फिर किसी का
डर नही,
है जो तू मेरे
पास तो
फिर किसी का
गम नही,
है जो तू मेरा
यार तो
फिर सफर
होगा हंसी,
हैं हम जो
साथ तो
कुछ भी
कर देगेँ कभी।

तू साथी,
तू हमसफर,
तू ही तो दिलदार है,
हर महफिल में
हम हँस सके
तू ही उसका हकदार है।

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